Lamba Saya , Jinn Ki Sachi Kahani

Lamba Saya , Jinn Ki Sachi Kahani.

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मेरा नाम राजिम सेख हैं। मैं किशनगंज का रहने वाला हूँ। मैं अपने बारे मे एक आप बीती घटना यहा लिख रहा हूँ। एक बार मैं काम करने के लिए नैनी ढाला गया हुआ था। वहाँ पर मैं क्रेन चलाने का काम करता था। एक सरिया factory मे मैं क्रेन चलता था। लगभग दो सालों तक मैं वहाँ पर क्रेन चलाया। पर एक घटना ऐसा भी घट गया जिसके कारण मुझे क्रेन चलाने का काम छोड़ कर अपने घर किसानगंज वापस आना पड़ा। इस दुनियाँ मे बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो भूत प्रेत जैसी ताकतों पर विश्वास नहीं करते हैं।

पर उन्हे जब दिखना होगा दिख जाएगे। मैंने भी एक बार जिन्न देखा था। जिसे देखने के बाद मेरा हालत इतना खराब हो गया की मैं काम छोड़ कर अपने घर वापस चला आया। जिन्न जिसे चाहें माला माल बना दे और जिसे चाहे कंगाल बना दे। मैं भी औरों की तरह भूत प्रेत पर कभी विश्वास नहीं करता था। मुझे भी जिन्न , जिन्नात , भूत ,  प्रेत ये सब वहम मात्र लगते थे। पर जब मैंने उसे अपने नजरों से देखा तो मेरे होश उड़े के उड़े रह गए। एक ऐसा घटना जिसके बारे मे मैं कभी सपने मे भी नहीं सोचा था। मैंने कभी नहीं सोचा था की कोई ऐसा घटना मेरे साथ भी घट सकता हैं। पर वो एक भयानक घटना मेरे साथ घट गया। जिसने मुझे अंदर से झकझोर कर रख दिया। हुआ ये था की मैं नैनी ढाला मे एक सरिया factory मे क्रेन चलाने का काम कर रहा था।

पहले तो दिन मे ही मुझे काम मिल जाता। मैं अक्सर दिन के समय ही काम कर लिया करता पर काम का प्रैशर ज्यादा होने के कारण क्रेन को दिन रात चलना था। factory का मालिक मुझे बोला की तुम दूसरी शिफ्ट मे काम करने आना और रात के समय घर चले जाना। मुझे कोई आपत्ति नहीं थी। काम तो काम होता हैं। कंपनी के मालिक को प्रॉडक्शन चाहिए और मुझे पैसा। जब पैसा कमाने के लिए घर से बाहर निकला हूँ तो अगर थोड़ा ज्यादा पैसा कमा लू तो इस मे हर्ज़ ही क्या हैं।

मैं तैयार हो गया। अब मैं सुबह ड्यूटि छोड़ कर दोपहर मे काम पर जाने लगा। जिस कारण मेरा छुट्टी रात के दो बजे होता। काम का प्रैशर भी ज्यादा था मैं काम नहीं करूंगा ऐसा बोल नहीं सकता था। क्रेन चलना मेरा काम था। इसलिए मैं क्रेन चलता था। अब मैं अपने काम मे रम चुका था। पर इसी दौरान एक घटना घट गया।

जिसने मुझे डर का एहसास दिला दिया। भूत प्रेत, जिन्न - जिन्नात का डर कैसा होता हैं ये मैं तब जाना। मैं रोज रात के दो बजे अपना ड्यूटि खत्म कर के अपने किराए के कमरे मे वापस जाने लगा। factory से करीबन दो किलोमीटर की दूरी पर मैं एक किराए का कमरा लिया था। कमरा अच्छा खासा था। मैं ड्यूटि से छुट कर सीधे अपने कमरे मे चला जाता। मेरे पास एक साइकल भी था। जिस से मैं ड्यूटि आना जाना करता था। एक रात मैं दो बजे अपना ड्यूटि खत्म कर के वापस किराए के घर पर जा रहा था। मैंने देखा की एक बिलकुल काले रंग का कुत्ता सड़क के किनारे बैठा हुआ हैं। वो जिस जगह बैठा हुआ था। उस जगह पर बहुत से पेड़ थे और वो जगह सुनसान था।

उस सुनसान जगह पर काले रंग का कुत्ता बैठ कर नहीं पता किसका इंतेजर कर रहा था। सड़क के किनारे लगी स्ट्रीट लाइट से वो मुझे साफ नजर आ रहा था। मैंने उसे कुछ दूर से ही देखा। उस कुत्ते की नजर भी मेरे ऊपर थी। मैं जैसे ही उसके सामने से पार किया की वो कुत्ता सड़क के किनारे से उठा और मेरे साइकल के पीछे पीछे चल दिया। कभी वो मेरे साइकल के पीछे पीछे चलता तो कभी आगे आगे। मानो की वो मेरा पालतू कुत्ता हो। पर मैंने तो कभी पहले उसे देखा ही नहीं था। मैं अपनी मस्ती मे साइकल चलता और वो मेरे साइकल के आगे पीछे मेरा पीछा करता। उस कुत्ते को देख कर मैं सोचने लगा की ये कैसा कुत्ता हैं जो की मेरे साइकल के आगे पीछे कर रहा हैं।

मुझे घर वापस जाना था। इसलिए मैं साइकल स्पीड से चला रहा था। पर वो कुत्ता भी मेरे साथ तेजी से दौरता हुआ चल रहा था। जब मैं अपने किराए के रूम मे पहुचा और जैसे ही साइकल से उतर कर अपने कमरे का ताला खोला। तो देखा की वो कुत्ता जिस रास्ते से मेरा पीछा करते हुए आया था। उसी रास्ते वापस चला जा रहा हैं। मुझे उस दीन कुछ बिशेष नहीं लगा। मैंने सोचा की कोई कुत्ता होगा। जो कही से आ गया होगा। उस रात मैं अपने किराए के कमरे मे सो गया। सुबह उठना था। और फिर कल ड्यूटि का तैयारी भी करना था। उसके बाद वाले दिन को मैं फिर ड्यूटि गया और फिर से मेरा छुट्टी रात के दो बजे हुआ। मैं अपना साइकल उठाया और अपने किराए के घर की तरफ चल दिया। मैं जैसे ही उस सुनसान रास्ते पर पहुचा तो देखा की वो कुत्ता फिर से वही पर हैं।

फिर से उसी सुनसान जगह पर पेड़ के सामने बैठ कर मानो मेरा इंतेजर कर रहा हो। मैं जैसे ही अपना साइकल उसके सामने से पार किया तो देखा की वो कुत्ता फिर से अपने जगह से उठ कर खड़ा हुआ और मेरा पीछा करने लगा। मैं अपनी मस्ती मे साइकल चलता और वो कुत्ता मेरे साइकल के आगे पीछे होते हुए चलता। कभी दौड़ता हुआ मेरे साइकल के आगे निकाल जाता तो कभी पीछे हो जाता।

उस कुत्ते की अजीब हरकत देख कर मुझे थोड़ा शक होने लगा। मैं अपने किराए के घर पहुचा तो फिर से वो कुत्ता वापस जिस रास्ते से आया था उसी रास्ते से होते हुए चला जाता। मैं थोड़ा सोच मे पड़ गया। अब ये रोज का बात हो गया। जब भी मैं रात के दो बजे अपने ड्यूटि से घर वापस जाता तो वो कुत्ता मुझे उस सुनसान झड़ी के पास मिल ही जाता।

रोज मेरे साइकल के आगे पीछे दौड़ता हुआ मेरा पीछा करता। कभी मैं सोचता की एक पत्थर उठाऊ और इसे दे मारू या इसे यहाँ से चले जाने के लिए कहू। पर मैंने कभी ऐसा नहीं किया। मैं मन ही मन सोचता की मैं इस factory मे दो सालों से काम कर रहा हूँ। पर आज तक कभी ऐसा काला कुत्ता नहीं देखा। ये कुत्ता यहाँ क्या करता हैं। वो भी रात के सुनसान मे जब चारों तरफ सन्नाटा छाया रहता हैं।

दूर दूर तक कोई नहीं रहता हैं। पर ये कुत्ता यहा क्या करता हैं। कभी कभी मुझे शक भी होता की ये कुत्ता हैं या कुछ और। मैंने अब तक कभी भी इतने काले रंग का कुत्ता नहीं देखा हूँ जब की मैं इस factory मे पिछले दो सालों से काम कर रहा हूँ। जब मैं अपना किराए का घर पाहुच जाता और जैसे ही ताला खोलता तो वो कुत्ता वापस अपने रास्ते से होते हुए factory के तरफ चला जाता।

मुझे कुछ अजीब सा लगने लगा। मैंने ये बात अपने साथ काम कर रहे अपने अन्य साथियों को भी बताया। पर उनकी तरफ से कोई खाश जवाब नहीं मिला। वे सभी भी बोले की हो सकता हैं कोई कुत्ता होगा। पर वो कुत्ता हमेशा रात के दो बजे सुनसान मे मेरा इंतेजर उस जंगल वाले रास्ते के पास करता। एक रात मैं अपने ड्यूटि से निकला रात के वही दो बज रहे थे। मुझे पता था की वो कुत्ता उस सुनसान जगह पर मेरा इंतेजर कर रहा होगा।

जैसे ही मैं उस जगह पर पहुचा तो देखा की वो कुत्ता फिर से वही पर बैठा हुआ हैं। मैं साइकल ले कर आगे निकल गया। वो कुत्ता भी मेरे पीछे पीछे चल दिया। फिर से कभी वो मेरे साइकल के आगे चला जाता तो कभी पीछे। मैं मस्ती मे  अपना साइकल चला रहा था और सोच रहा था की आज मैं इस कुत्ते के बारे मे पता लगा कर रहूँगा।

जब ड्यूटि जाता हूँ तो ये दिखता नहीं हैं और जब वापस आता हूँ तो ये काला कुत्ता मेरा पीछा करने लगता हैं। आखिर मे ये मेरा पीछा करते हुए मेरे किराए के घर तक क्यू आता हैं। और जब मैं अपने घर का दरवाजा खोलता हूँ तो ये फिर से वापस चला जाता हैं। मेरे दिल मे एक जिज्ञाशा जग चुका था। मैं उस काले कुत्ते के बारे जानना चाह रहा था। मैं अपने किराए के घर मे पहुचा और अपना साइकल एक साइड मे खड़ा कर के चाभी निकाला। जैसे ही मैं दरवाजा खोला तो पीछे मूड कर देखा की वो कुत्ता फिर से उसी factory वाले रास्ते से वापस चला जा रहा हैं।

मैं चुपके से कमरा बंद किया और पैदल ही उस कुत्ते के पीछे पीछे चल दिया। मेरे घर से कुछ ही दूरी पर एक चौराहा था। जहां पर कुछ दुकान थे। उसी चौराहा से होते हुए मैं factory जाया करता था। वो काला कुत्ता भी उस चौराहे के पास पहुचा और factory जाने वाले रास्ते के तरफ मूड गया। मैं भी उसका पीछा करते हुए चौराहे के पास पहुचा गया। जैसे ही मैं चौराहे के पास से मुड़ा तो मैंने देखा की एक बिलकुल लंबा आदमी जिसका उचाई लगभग सड़क के किनारे लगे हुए इलैक्ट्रिक पोल से भी ज्यादा था।

वो आदमी अपनी मस्ती मे चला जा रहा था। ठीक उसी तरफ जा रहा था जिस तरफ factory था। रास्ता बिलकुल सुनसान था। चारों तरफ सन्नाटा ही सन्नाटा। मैं चौराहे के पास खड़ा हो कर उसे देख रहा था। उस जगह मेरे और उस लंबे आदमी के अलावा तीसरा और कोई नहीं था। वो लंबा सा आदमी अपनी मस्ती मे चला जा रहा था। उस आदमी का साया इतना लंबा था की जिसका हिसाब नहीं लगाया जा सकता हैं।

स्ट्रीट लाइट जल रही थी और मैं उस आदमी को अच्छी तरह देख सकता था। वो लंबा सा आदमी जिसने बिलकुल सफ़ेद रंग का कुर्ता पैजमा पहन रखा था। रात मे उस से गज़ब सा चमक आ रहा था। वो लंबा सा आदमी और उस से कभी लंबी उसका साया। जिसका कोई अंत ही न हो। अपने मस्ती मे झूमता हुआ चला जा रहा था। एक गज़ब सा खुसबू चारों तरफ फैल चुका था। मैंने उस से पहले कभी भी इस तरह की खुसबू कभी नहीं सूंघी थी। मैं जैसे ही उस लंबा साया वाला आदमी को देखा तो मेरे होश ही उड़ गए। मैं इतना डर गया की चौराहे के पास खड़ा खड़ा कापने लगा। मेरे मुह से चीख निकल पता इस से पहले मैंने अपने ही दोनों हाथों से अपना मुह बहुत ही ज़ोरो से दबा दिया। पर हल्की सी चीख निकाल ही गई।

मैंने देखा की वो लंबा सा आदमी जिसका लंबा साया था। वो रुक गया। मैं बहुत डर गया मैं सोचा की अगर ये पलट कर पीछे देखा तो मुझे पाएगा और मुझे जान से मार देगा। इसलिए वो पीछे पलट पाता उस से पहले मैं चौराहे के पास एक पान का गुमटी था। मैं दौड़ कर उस गुमटी के दीवार से चिपक कर बैठ गया। मैंने अपने दोनों हाथों से अपना मिह पूरा ज़ोर से दबा कर रखा था। मैंने देखा की उसके परछाई मे हलचल हो रही हैं। मानो की वो पलट कर वापस आ रहा हो।

डर और घबराहट से मेरा हालत बहुत खराब हो चुका था। वो लंबा साया आगे की तरफ बढ़ा। मैं अपने दोनों हाथों से अपना मुह दबाये हुए था। उस पान के गुमटी से चिपक कर छुपने की कोशिश कर रहा था। मुझे लगा की अब वो मेरे पास आ रहा हैं। किसी तरह अगर मैं उसके हाथ लग जाऊ तो वो मुझे मारे बिना रह नहीं सकता हैं। पूरा पसीना से तर ब तर हो चुका था। फिर मैंने देखा की वो लंबा साया धीरे धीरे आगे की तरफ बढ़ा चला जा रहा हैं। कुछ देर के बाद वो लंबा सा आदमी जिसका साया बहुत लंबा था।

वो अंधेरे मे कही  गुम हो गया। मैं अब भी पान के गुमटी से चिपक कर बैठा हुआ था। जो खुसबू चारों तरफ फैली हुई थी वो भी अब धीरे धीरे खत्म हो रही थी। जब मुझे पूरा यकीन हो गया की लंबा साया वाला आदमी चला गया। तो मैं उस जगह से उठा और सीधा दौड़ता हुआ अपने किराए के घर मे आ गया। अब मुझे नींद आने वाली थी। डर से तो मेरा हाल बेहाल हो चुका था। रात भर मैं अपने बिस्तर पर बैठा रहा और काँपता रहा।

जा सुबह हुआ तो मैं सीधे मकान मालिक के पास गया और किराए का हिसाब करा कर। उसी दिन अपने घर किसनगंज वापस चला आया। मैं घर पहुच कर ये बात अपने घर मे अपने माँ पिता और दोस्तों को बताया। तो उन्होने कहा की अच्छा किए जो भाग कर चले आए नहीं तो वो तुम्हें मार देता। पर जब ये बात मैंने अपने मस्जिद के मौलाना साहब को बताया तो उन्होने कहाँ की तुम्हें जो कुत्ता रोज घर तक छोड़ कर वापस चला जा रहा था वो कोई और नहीं बल्कि वो एक जिन्न था।

जो जिन्न तुम्हारी जान की हिफाजत कर रहा था। चाहे जो भी हो मैं बहुत डर गया था। आज भी मुझे सपने मे वो लंबा साया वाला जिन्न दिखता हैं। मैं अब भी रात के समय किसी कुत्ता को देखता हूँ तो डर जात हूँ। मुझे ऐसा लगता हैं की वो जिन्न अब भी मेरे आस पास ही कही हैं। मैं उस रात के बाद कभी किसी कुत्ता को पत्थर चला कर नहीं मारता हूँ।