Shararti Bandar , Ek Bal Katha

 Shararti Bandar , Ek Bal Katha.

किसी जंगल मे बंदरों का एक झुंड रहा करता था। दिन भर पेड़ की टहनियों पर उधम चौकरी करना। कभी एक टहनी से दूसरी टहनी पर कूदना। ये ही उन सभी को पसंद था। उन बंदरों मे बहुत एकता था। वे सभी आपस मे मिल जुल कर एक परिवार की तरह रहते थ।

 सुख दुख मे वे एक दूसरे का साथ निभाते और एक साथ रहते। बंदरों का मुखिया उन पर कड़ी निगरानी करता किसी भी समस्या का समाधान करता और दूसरों को सही राह दिखाता। बंदरों का झुंड अपने मुखियाँ के बातों को मानते और उनके बताए हुए राह पर चलते।

 पर उन बंदरों के झुंड मे एक बंदर ऐसा भी था जो बहुत शरारती किस्म का था। एक बंदर का दूसरे बंदर से चुगली करना उसे अच्छा लगता था। चुगली कर के उन्हे आपस मे लड़ा देता और फिर वो तमाशा देखता। वैसे वो बहुत चतुर भी था। ऐसा चल चलता की पकड़ मे नहीं आता और आपस मे झगरा भी करा देता। बंदरों को आपसा मे झगरा करते हुए देख कर मन ही मन बहुत खुश होता।

 जब भी किसी का चुगली किसी से करता तो उसे साफ कह देता की ये बात किसी को पता नहीं चलना चाहिए। अजब सा चाल चल देता। किसी के पेट का थाह लेना होता तो पहले उस से अच्छी अच्छी बातें करता और फिर अन्य बंदर के बारे मे जनता की वो उसके बारे मे क्या सोचता हैं और फिर उसे बता देता।

 पर अपना नाम कही भी आने नहीं देता। जब बंदर आपस मे झगरा करते तो वो दूर किसी पेड़ के उचि टहनी पर बैठ कर पूरा मजरा देखता। जब बंदर आपस मे झगरा करते तो वो उन्हे झगरा करते हुए देखता और बहुत खुश होता। इस काम मे उसे बहुत मज़ा आता। एक दिन की बात हैं बंदरों का झुंड कही खाने की तलाश मे गया।

 जंगल से दूर जा कर बहुत से फल तोड़े और उन्हे खाया। खाने के बाद जीतने फल बच गए उन फलों को सभी आपस मे बाट कर वापस उसी पेड़ पर आ गए। सभी बंदरों के पास पर्याप्त मात्रा मे फल थे। वे सोचे की फल को कही छुपा दिया जाए जब भूख लगेगा तो निकाल कर खाएँगे। सभी बंदर अपने अपने फल को कही सुरक्षित जगह पर छुपा दिये।

 बंदर जब फल को छुपा रहे थे तो शरारती बंदर उन बंदरों को फल छुपाते हुए देख रहा था। अब उसे पता था की कौन सा बंदर अपना फल किस जगह पर छुपाया हैं। रात हुआ और सभी बंदर पेड़ की टहनी पकड़ कर सो गए। शरारती बंदर अन्य बंदरों के सोने का इंतेजर कर रहा था। जब वो पूरी तरह से जान गया की सब बहुत ही गहरी नींद मे सोये हुए हैं.

 तो वो चुपके से अपने पेड़ के टहनी से नीचे उतरा और जा कर जीतने भी छुपाए हुए फल थे सभी को इकठ्ठा कर के दूर कही ले जा कर छुपा दिया और वापस आ कर फिर से पेड़ की टहनी पे सो गया। सुबह हुआ तो चरो तरफ शोर मच गया।

 सभी बंदर अपने-अपने फल को खोजने लगे पर किसी का फल किसी को नहीं मिला। अब समझ मे नहीं आ रहा था की रात भर मे फल कहाँ चला गया। किसी ने चोरी तो नहीं की हैं। पर इल्जाम किसके ऊपर लगाए जब किसी ने चोर को देखा ही नहीं था।

 पर सभी एक दूसरे  पर शक की नजर से देख रहे थे। तभी शरारती बंदर एक बंदर के पास गया और बोला की मुझे पता हैं की तुम्हारा फल किस ने चोरी किया हैं। तो वो बंदर बोला की बताओ कीस बंदर ने मेरा फल चोरी किया हैं। तो वो बोला की अगर मैं बता दूंगा तो तुम उसे बता दोगे की मैंने ही तुम्हें ये जानकारी दी हैं।

 उसे पता चलेगा तो वो मुझ से झगरा करेगा। मैं झगरा लड़ाई से बहुत दूर रहता हूँ। मुझे झगरा लड़ाई पसंद नहीं हैं। पर तुम्हारे चेहरे का चिंता देख कर मुझे तुम्हारे ऊपर दया आ गई इस लिए सोचा की तुम्हें हकीकत बता दु। तो वो बंदर बोला की बताओ मैं कही भी तुम्हारा नाम नहीं आने दूंगा। किसी को पता नहीं चलेगा की इस बात को तुम ने मुझे बताया हैं। तो शरारती बंदर बोला कल रात मे मैं पेड़ के टहनी पर सोया हुआ था। अचानक कुछ आवाज़ आई और मेरा नींद टूट गया।

 उसने एक बंदर के तरफ इशारा करते हुए बोला की मैंने इसे देखा की ये अपने पेड़ के टहनी से उतरा और जिस जगह फल छुपा कर रखे थे उस तरफ चला गया। कुछ देर के बाद आया और फिर से पेड़ के टहनी पर चुप चाप सो गया। अब उस बंदर को यकीन हो गया की इस बंदर ने ही जरूर फलों को चोरी किया हैं। शरारती बंदर बोला की देखों मैंने तुम्हें ये राज़ की बात बताई हैं मेरा नाम कही भी नहीं आना चाहिए।

 वो बंदर बोला की ठीक हैं। फिर शरारती बंदर दूसरे बंदर के पास गया और उसे भी किसी दूसरे बंदर की तरफ इशारा कर के बोला की इस ने ही तुम्हारे फल चोरी किया हैं। पर मेरा नाम कही भी नहीं आना चाहिए। इस तरह से सभी बंदरों से बोल दिया सभी बंदर एक दूसरे से झगरा करने लगे। शरारती बंदर दूर किसी पेड़ के सब से उचि टहनी पर बैठ कर सभी को झगरा करते हुए देखने लगा।

 सभी बंदर एक दूसरे से झगरा करते और फल चोरी करने का इल्जाम एक दूसरे पर लागते। झगरा धीरे धीरे लड़ाई मे बादल गया। सभी बंदर एक दूसरे से लड़ाई करने लगे। दूर बैठा शरारती बंदर सभी को आपसा मे लड़ाई करते हुए देख रहा था और मन ही मन बहुत खुश भी हो रहा था। की अपने दिमाग के बल पर सभी को आपस मे लड़वा दिया।

अब सभी आपस मे लड़ाई करेंगे और मैं आराम से सभी फलों को खा जाऊंगा। किसी को पता भी नहीं चलेगा की मैंने ही फल चोरी किया हूँ। सभी मुझे आदर करेंगे और मैं सभी के सामने अच्छा बन जाऊंगा। बंदरों के बीच बहुत देर तक झगरा लड़ाई होता रहा।

 उन बंदरो का मुखिया ये सब देख रहा था। जब उस से रहा नहीं गया तो वो बंदरो के पास आया और बोला की तुम सभी फल के लिए एक दूसरे का जान ले लोगे। उतने दीनो से तुम सभी आपस मे मिल जुल कर रह रहे थे और आज सभी एक दूसरे के खून के प्यासे बन चुके हो। तो एक बंदर बोला की बात फल लेने का नहीं हैं बल्कि बात चोरी करने का हैं।

 किसी को क्या जरूरत लगी हैं की कोई किसी का फल चोरी करे। तो मुखिया बंदर बोला की तुम ने किसी को देखा हैं की ये तुम्हारा फल चोरी कर रहा था। तो वो बोला की देखा तो नहीं हूँ। पर मैं जनता हू की इस ने ही मेरा फल चोरी किया हैं।

 तो मुखियाँ बंदर बोला की बताओ तुम्हें किस ने बोला की ये तुम्हारा फल चोरी किया हैं। पहले तो नाम बताने से वो मुकर रहा था पर जब मुखियाँ बंदर दबाओ दे कर जानना चाहा तो उस बंदर ने कहा की मुझे शरारती बंदर ने कहा की इसने ही मेरे फल चोरी किया हैं।

 मुखिया बंदर सभी से पूछा की बताओ तुम्हें किस ने कहा की तुम्हारा फल किसने चोरी किया हैं तो सभी बंदरों ने शरारती बंदर का नाम लिया। अब मुखिया बंदर को समझ मे आ गया की पूरा मजरा क्या हैं। उसने सभा मे शरारती बंदर को आने का हुक्म दिया।

 सभी बंदर जा कर शरारती बंदर को ले आए। जब उस से पूछा गया की तुम ने ही इन सभी को आपस मे लड़ाया हैं। तुम ने कब देखा की बंदर फल चोरी कर रहे हैं। तो वो बोला की मैं तो एक अनुमान लगा कर बोला की हो सकता हैं की फल इस ने चोरी की होगी। मुखियाँ बंदर उसके ऊपर बहुत क्रोधित हुआ और बोला की जब तुम अपने समाज मे ही आग लगावोंगे और सभी को आपस मे झगरा लड़ाई करवाओगे तो तुम्हारा यहा रहना उचित नहीं हैं।

 तुम इस झुंड को छोड़ कर चले जाओ। शरारती बंदर को अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ वो मुखियाँ बंदर से बोला की अब से कभी ऐसा नहीं करूंगा। कभी भी किसी को आपस मे नहीं लड़वाऊंगा मुझे माफ कर दो। मुखिया बंदर बोला की नहीं तुम्हें झुंड छोड़ कर जाना ही पड़ेगा।

 सभी बंदर उसे झुंड से बाहर कर दिये। मुखियाँ बंदर ने सभी बंदरों से कहाँ की एक बंदर हमे आपस मे लड़ा सकता हैं तो कोई भी बाहरी आराम से हमारी एकता तोड़ सकता हैं। किसी भी बात पर हमे आपस मे झगरा लड़ाई करा कर जंगल से बाहर कर सकता हैं।

 जब तक किसी बारे पर पूरा यकीन न हो तब तक कोई इल्जाम किसी के ऊपर नहीं देना चाहिए। आपस मे मिल जुल कर रहने से ही झुंड मजबूत रहेगा और कोई बाहरी हमारे झुंड को कभी तोड़ नहीं पाएगा।