Insaan Ka Adat , Hindi Kahani

Insaan Ka Adat , Hindi Kahani.

इंसान का आदतइंसान हो या जानवर एक बार किसी चीज का आदत बन जाए तो आसानी से नहीं छूटता. आदत को छोडने मे बहुत समय लगता हैं. वही बात किया जाए अच्छी आदत का तो अच्छी आदत लगने के लिए लंबे समय की जरूरत पड़ती हैं. पर गलत आदत लगने मे बहुत कम समय लगता हैं. अच्छी आदत बहुत ज्यल्द छुट जाता हैं. पर बुरी आदत छोडने मे बहुत समय लगता हैं. बुरी आदतें आसानी से नहीं जाती. ये कहानी भी इंसान के बुरी आदत के ऊपर हैं. एक आदमी जिसका नाम हरीश था. वो रेल्वे मे काम किया करता था.

रेल्वे मे वो ट्रेन का गार्ड था. जिसका काम ट्रेन के अंत मे बनी एक बोगी के अंदर रह कर ट्रेन का सिग्नल चेक करना था. ट्रेन के बोगी का एयर रिलीज करना आदि. ज़्यादातर वो माल गाड़ी मे ही ड्यूटि किया करता था. एक बार घर से ड्यूटि के लिए निकलता तो सप्ताह तक वो सफर पर ही रहता था. अच्छी ख़ासी आमदनी थी. रुपया पैसा बहुत ही कमा चुका था. पर वक़्त के साथ साथ उसके रिटायरमेंट का समय भी आ चुका था. रेल्वे मे जब कोई रिटाइर होता हैं तो उसे बहुत सारा रुपया और साथ मे पेंशन भी मिलता था.

पूरी जीवन का जमा पूंजी मिलने से कभी पैसे का कमी महसूस नहीं होता हैं. हरीश भी रिटाइर हो चुका था. उसके खाते मे बहुत सारा पैसा आने वाला था. साथ ही पूरी ज़िंदगी पेंशन भी मिलता जो उसके लिए काफी था. घर मे खुशियाँ भी थी क्यू की अब कोई बड़ा काम आसानी से हो सकता था. पर एक दुविधा आ गई. हरीश जब से रिटाइर हुआ. नहीं पता उसकी नींद कहाँ चले गई. दो दिनो तक नींद नहीं आया तो घर वाले सोचे की हो सकता है.

रिटायरमेंट का सदमा समा गया होगा. जिस वजह से नींद नहीं आ रहा हैं. हरीश को डॉक्टर के पास ले जाया गया. वहाँ पर चेक हुआ तो डॉक्टर साहेब बोले की सभी चीज नॉर्मल हैं. इसमे घबराने की कोई बात नहीं हैं. डॉक्टर साहेब उसके लिए कुछ नींद की दवा लिख दिये और बोले की रात मे सोने से पहले इसे खिला दीजिएगा नींद आ जाएगा. रात के समय दवा दिया गया. पर दवा का असर बेकार साबित हुआ. दवा खाने के बाद भी हरीश को नींद कहाँ आ रहा था.

रात भर सोने की कोशिश करता रहा पर नींद नहीं आया. हरीश तीन दिनों तक एक पल के लिए भी नहीं सोया. घर वाले चिंतित हो गए की दवा खाने के बाद भी हरीश को नींद क्यू नहीं आ रहा हैं. उसके बाद वाले दिन को फिर से हरीश को डॉक्टर के पास ले जाया गया. डॉक्टर को सारो बात बताई गई. डॉक्टर ने कहाँ की इसमे चिंता की कोई बात नहीं हैं. डॉक्टर ने और भी ज्यादा पावर के नींद की दवा लिख दी और कहा की इसे खिलाइए नींद आ जाएगी. रात के समय ज्यादा पावर वाला दवा खिलाया गया. पर हरीश को नींद कहाँ आया. वो तो ज्यादा पावर वाला दवा खाने के बाद भी रात भर करवट बदलता रहा. एक पल के लिए भी नींद नहीं आया. सुबह हुआ तो फिर से डॉक्टर के पास ले जाया गया. डॉक्टर ने अब दवा ज्यादा खाने के लिए कहा.

सुबह शाम ज्यादा दवा दिया जाने लगा की हरीश को किसी तरह नींद आ जाए. पर ज्यादा मात्रा मे दवा खाने के बाद भी हरीश को नींद नहीं आ रहा था. चौबीस घंटे सोने का कोशिश करता पर नींद उस से कोशो दूर थी. नींद आ ही नहीं रही थी. ऐसा करते करते पंद्रह दिन का समय बीत गया. पर हरीश अपने रिटायरमेंट के पंद्रह दिन बीतने के बाद भी सो नहीं पाया. बार बार डॉक्टर से चेक कराया गया पर किसी तरह का कोई भी बीमारी पकड़ मे नहीं आ रहा था. घरवाले और हरीश को चिंता हो गया की, आखिरकार उसे नींद क्यू नहीं आ रहा हैं. उस शहर के सारे डॉक्टर अपने हाथ खड़े कर दिये. डॉक्टर भी डर गए की कही और ज्यादा नींद की दवा दी गई.

तो मरीज के लिए गंभीर हानी का कारण हो सकता हैं. अगर हरीश को नींद नहीं आया तो हरीश पागल भी हो सकता हैं. नींद नहीं आना एक गंभीर बीमारी हैं. हर इसान को एक तय समय तक सोना बहुत जरूरी हैं. हरीश को भी चिंता था की आखिर कार उसे हुआ क्या हैं. कोई इलाज़ काम क्यू नहीं कार रहा हैं? किसी को कुछ भी समझ मे नहीं आ रहा था. की रिटाइर हरीश को आखिरकार रिटायरमेंट के बाद हो क्या गया हैं. जो नींद अपने आप गायब ही हो गया है. इस बीमारी का इलाज़ खोजने मे शहर के सारे डॉक्टर अपने हाथ खड़े कार चुके थे.

किसी को समझ मे कुछ भी नहीं आ रहा था. किसी ने सलाह दिया की हरीश को ले कार किसी बहुत बड़े डॉक्टर के जाना होगा. वही इसका इलाज़ हो पाएगा. इस मरीज का इलाज़ कार पाना हर डॉक्टर के लिए संभव नहीं हैं. हरीश की हालत भी दिन ब दिन खराब होते चले जा रही थी. अब अगर नींद नहीं आया तो कोई बहुत बड़ा हानी भी हो सकता था. हरीश के घरवाले हरीश को ले कर भेलौर चले गए. वहाँ ले जा कर डॉक्टर से चेक कराये और डॉक्टर से बोले की नहीं पता हरीश को क्या हो गया हैं. जो बीस दिन बीत गए पर हरीश एक पल के लिए भी नहीं सोया हैं. बहुत से डॉक्टर को दिखाये बहुत जगह इलाज़ चला पर कोई भी फायदा नजर नहीं आया. उस बड़े से अस्पताल के डॉक्टर ने भी हरीश का चेक अप किए. पर कोई बीमारी पकड़ मे नहीं आ पाया.

वहाँ के डॉक्टर ने बी दवा लिख कर दिये और बोले की ये दवा खिला कर देखिये शायद नींद आ जाए. हरीश के घरवाले अब उसे वहाँ का दवा खिलाने लगे. हरीश सोने का बहुत कोशिश करता पर नींद नहीं आती. सारा रात करवट बदल बदल कर रात काट दिया. अब तो उसकी हालत भी बहुत नाजुक हो चुकी थी. अब अगर नींद नहीं आया तो कोई बहुत बड़े खतरे का अंदेशा था. हो सकता है की हरीश पागल हो जाए. पर अब किया भी तो क्या किया जा सकता हैं. बहुत जगह इलाज़ करवाया गया. अच्छे से अच्छे डॉक्टर से चेक करवाया गया.

अगर कोई बीमारी होता तो उसका इलाज़ होता. पर हरीश को ऐसी कोई बीमारी थी ही नहीं. भेलौर जैसे बड़े अस्पताल मे इलाज़ चल रहा था. पर वहाँ भी कोई फायदा नजर नहीं आ रहा था. वहाँ के डॉक्टर भी सोच मे पड़ गए की आखिरकार ऐसा बात क्या हैं जो हरीश को नींद नहीं आ रहा हैं. रोज डॉक्टर के पास ले जया जाता. डॉक्टर भी दवा बदल बदल कर देते और सोचते की शायद ये दवा उसे सूट कर जाए. पर कोई फायदा नहीं था. कोई भी दवा हरीश को सूट ही नहीं कर रहा था. अब तो ये बात बहुत बड़े हॉस्पिटल के लिए चिंता का विषय बन चुका था.

डॉक्टर भी सोच मे थे की आखिर कार उसे हुआ तो क्या हुआ हैं. हॉस्पिटल के डॉक्टर सब मिल कर इस विषय पर मीटिंग करनी पड़ी. हरीश के रिपोर्ट पर चर्चा हुआ. उसे जांचा गया. अब डॉक्टर के पास एक ही उपाय था की उसके ज़िंदगी का हर पहलू को जान कर इलाज़ किया जाए. हो सकता है हर इंसान का आदत कुछ न कुछ होता ही हैं. इंसान का आदत मे ही उसका कोई इलाज़ छुपा हो. हरीश के घरवालों से उसकी पूरी जानकारी ली गई. तो पता चला की हरीश एक एक सप्ताह तक घर नहीं आता था. वो एक गार्ड था और नौकरी पर ही रहता था. जब डॉक्टर उसके बारे मे सब कुछ जान गए तो बोले की. अब मैं इस बार कोई दवा नहीं लिख रहा हूँ.

वैसे भी हरीश पर दवाओ का कोई असर नहीं हो रहा हैं. एक काम करो घर जाओ और जा कर एक झूला बनाओ. जिस पर हरीश को लेता कर जुला को बहुत झुलाओ. अगर नींद आ गया तो समझो हरीश की जान बच जाएगी. नहीं तो मैं भी कुछ नहीं कर पाऊँगा. वैसे भी इंसान पाचीस दिनो तक नहीं सोया तो उसका दिमागी संतुलन खोने का पूरा संभावना हैं. अब मैं भी कुछ नहीं कर सकता हूँ. ये मेरा आखरी इलाज़ हैं इसके बाद मैं भी हार मान लूँगा. जैसा डॉक्टर ने कहा वैसा ही किया गया. घर जा कर एक झूला बनाया गया जिस पर हरीश को लेटा कर खूब झुलाया गया. हरीश जैसे जैसे झूला पर झूलता उसे नींद आने लगी. हरीश कुछ ही देर के अंदर बहुत ही गहरी नींद मे सो गया. अब तो सभी को आश्चर्य हो गया की जहां पर इतनी सारी दवा बेकार हो गई.

वही पर हरीश को सिर्फ झूला झुलाने से नींद आ गया. हरीश बहुत ही गहरी नींद से बहुत देर तक सोया. जब जगा तो उसे ले कर डॉक्टर के पास लाया गया. डॉक्टर से पूछा गया की आखिर कार आप को कैसे पता चला की हरीश को सिर्फ झूला झुलाने से नींद आ जाएगी. डॉक्टर ने कहा की मैंने हरीश के जीवन से जुड़ी कहानी सुनी. जिस से मुझे पता चला की ये एक एक सप्ताह तक घर से बाहर रहा करता था. वैसे भी हरीश ट्रेन मे गार्ड की नौकरी किया करता था. हरीश कही न कही सोता जरूर था. हो सकता हैं गार्ड की नौकरी करते समय ही सो जाता होगा.

जिस बोगी मे रहता था ये उस बोगी का चैन पकड़ कर खड़े खड़े ही सो जाता होगा. ट्रेन चलती थी तो बोगी मे कंपन होता हैं और बोगी हिलता डोलता रहता हैं. पर हरीश को आदत हो चुकी थी की हिलते डोलते बोगी मे चैन पकड़ कर सोने की. इंसान का आदत होता है. जो एक बार पकड़ ले उस से छुटकारा पाना आसान नहीं हैं. इंसान का आदत का शिकार हरीश भी हैं. ट्रेन के बोगी मे जब तक ट्रेन ट्रेन चलता रहेगा हरीश को नींद आती रहेगी. जब ट्रेन रुक जाएगा हरीश का भी नींद टूट जाएगा. इस लिए मैंने उसे झूला झुलाने के लिए कहा.

ताकि उसे लगे की वो ट्रेन मे हैं और ट्रेन चल रही हैं. वैसा ही हुआ झूला के कारण उसके शरीर मे कंपन हुआ. उसे आभास हुआ की वो ट्रेन मे सफर कर रहा हैं. जिस से उसे नींद आ गई और वो सो गया. इंसान का आदत के बारे मे सभी लोग जान चुके थे. अब हरीश के बीमारी का इलाज़ भी मिल चुका था. उसके बाद से उसे झूला झुलाया जाता और हरीश गहरी नींद मे सो जाता.